यूरोप में राष्ट्रवाद – Bihar Board 10th History Chapter 1 Notes

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यूरोप में राष्ट्रवाद – Nationalism in Europe

वियना सम्मेलन (1815)

उद्देश्य: नेपोलियन युद्धों के बाद यूरोप में स्थिरता और शक्ति संतुलन स्थापित करना।
प्रमुख भागीदार: ब्रिटेन, रूस, प्रशिया, ऑस्ट्रिया।
मुख्य निर्णय: युद्ध से पहले की सीमाओं का पुनर्निर्धारण, प्रतिक्रियावाद का समर्थन।

जुलाई 1830 की क्रांति

समय: 26 जुलाई 1830
कारण: चार्ल्स X द्वारा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन।
परिणाम: चार्ल्स X का निष्कासन और लुई फिलिप का राजा बनना।

1848 की क्रांति

उद्देश्य: लोकतंत्र और सामाजिक सुधारों की माँग।
स्थान: फ्रांस, जर्मनी, इटली।
परिणाम: अधिकांश विद्रोह असफल रहे, लेकिन राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता के विचारों को बल मिला।

इटली का एकीकरण

प्रमुख व्यक्ति: मैजिनी, काउंट कावूर, गैरीबाल्डी
मैजिनी: “युवक इटली” आंदोलन की स्थापना करके युवाओं में राष्ट्रवाद की भावना जागृत की।
काउंट कावूर: प्रधानमंत्री के रूप में कूटनीति द्वारा एकीकरण को बढ़ावा दिया।
गैरीबाल्डी: सिसिली और दक्षिणी इटली में सैन्य अभियानों के माध्यम से एकता में योगदान।
समापन: 1861 में इटली का एकीकरण और विक्टर इमैनुएल द्वितीय का राज्याभिषेक।

जर्मनी का एकीकरण

नेता: ओटो वॉन बिस्मार्क
नीति: “लोहे और रक्त” (युद्ध और औद्योगिक शक्ति के माध्यम से एकीकरण)।
युद्ध: प्रशिया-ऑस्ट्रिया युद्ध (1866), फ्रेंको-प्रशिया युद्ध (1870-71)।
परिणाम: 1871 में जर्मन साम्राज्य की स्थापना।

यूनान में राष्ट्रीयता का उदय

घटनाएँ: 1821 में ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह।
परिणाम: ग्रीक स्वतंत्रता संग्राम में सफलता और अन्य यूरोपीय देशों में राष्ट्रवाद को प्रेरणा।

हंगरी, पोलैंड और बोहेमिया में आंदोलन

हंगरी: 1848 में स्वतंत्रता की माँग के साथ विद्रोह।
पोलैंड: 1830 और 1863 में रूस के विरुद्ध संघर्ष।
बोहेमिया: चेक राष्ट्रवादियों द्वारा सांस्कृतिक पहचान और स्वायत्तता के लिए आंदोलन।

परिणाम

संक्षेप: इन आंदोलनों ने यूरोप में राष्ट्रवाद की लहर को मजबूती दी। हालाँकि अधिकांश विद्रोह तत्काल सफल नहीं रहे, लेकिन उन्होंने भविष्य की राजनीतिक संरचनाओं को गहराई से प्रभावित किया। यह लहर आगे चलकर 20वीं सदी के संघर्षों और युद्धों का कारण बनी।


यूरोप में राष्ट्रवाद – Bihar Board 10th History Chapter 1 Notes

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